Friday, December 18, 2015

So merit-mongers occupy our Judiciary

Justice J.B. Pardiwala removed his illegal observations after the 58 Rajya Sabha members demanded impeachment of him for his recent alleged objectionable remarks on the reservation system in India.
So merit-mongers occupy our Judiciary. Justice Pardiwala denigrates inclusive policies such as quotas, reservation and preferential policies. Judges like him give verdicts against reservation and call it Cancer. I doubt now  whether they read our Constitution before judging any case. Our Constitution defines reservation in Articles 15 (4), 16 (4), 340 and 341 for SCs/STs and OBCs. Are Judges ignoring these articles intentionally? Justice Pardiwala abused reservations same as corruption. What a surprise! Reservation will be provided to historically disadvantaged groups who are still far behind in comparison to some advanced Upper Caste groups. And Corruption is the liability of crooks on common people, and these crooks belong in majority to Brahminical-upper caste- merit mongers- anti reservationists.  I request please don't collide a very progressive idea of Social Justice to merit-mongers' disease i.e. Corruption. Justice Pardiwala! you are not alone who hates constitutionally mandated reservation policy, there is a long list of  academicians, politicians, Policy makers, business tycoons etc. Actually, the Legislature is NOT showing its commitment for implementing Affirmative Action at various Public institutions.  There must be a Supervisory Committee who focuses on whether reserve seats are filled or not. If any official or employee finds guilty the Committee must take strict action against them.  The very step which is taken by the lawmakers, is commendable and it brings hope to us that they  will be careful in future also.

Sunday, December 6, 2015

ओवैसी, आपकी पालिटिक्स जमने लगी है JNU में.

संघ कहता है अयोध्या  में मंदिर बने,  वही आज के दिन ओवैसी और JNU के दलित छात्र संगठनों ने कहा कि वहां बाबरी मस्जिद बने. दलित-मुस्लिम एकता जिंदाबाद.
एक साथी ने कहा कि जो धर्म ब्राह्मणवाद को ख़त्म करता है उसे हम समर्थन देते है. इस्लाम ने ब्राह्मणवाद को टक्कर दी अतः हम इस्लाम धर्म का समर्थन करते है. क्या बात कही गुरु.. ये पसमांदा मुसलमान कौन है, मुस्लिम महिलाये मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध क्यों कर रही है. सवर्ण मुसलमान  और पसमांदा मुसलमानो की मस्जिदे अलग-अलग क्यों है? इतिहासकारों ने भी बताया है कि मुग़ल शासकों के समय सनातन धर्म को नुकसान नहीं पहुँचा. गुरु आप भी जानते है सनातन धर्म क्या है, यह कैसे जाति व्यवस्था पर टिका है. इसमें ब्राह्मण के जलवे है और भंगी सबसे अपमानित. तो इस्लाम ने किस एंगल से ब्राह्मणवाद को चोट पहुंचाई.

एक मित्र ने तो अति कर दी और कहा- OBC ही दलितों का शोषण करते है, सबसे बड़े शोषक OBC ही है. तो साथी  शाहूजी महाराज, जोतीराव फूले, सावित्रीबाई फूले, पेरियार, रामस्वरूप वर्मा, जगदेवबाबू  और ललई यादव कौन थे. एक दलित  को मंदिर में कौन नहीं घुसने देता है भाई..
एक तरफ  ब्राह्मणवादी गिरोह देश के अमनपसंद हिन्दुओं को अपनी गिरफ्त में लेकर ब्राह्मणवाद की जड़े मजबूत कर रहे है. मंडल आन्दोलन को रोकने के लिये कमंडल का खरमंडल कर ब्राह्मणवादी ताकतों ने पूरे भारतीय समाज को दो ध्रुवों में बाँट दिया- हिन्दू और मुस्लिम या अन्य. ब्राह्मणवादी RSS हिन्दुओ की ठेकेदारी करना चाहता है तो दूसरी ओर ओवैसी जैसे मनुवादी कठमुल्ले मुस्लिमों की ठेकेदारी करना चाहते है. जबकि दोनों तरफ के ठेकेदारों का वर्गीय या वर्णीय चरित्र की पड़ताल करेंगे तो वे उच्च वर्गीय/उच्च वर्णीय जमात वाले ही मिलेंगे. धर्म की कट्टरता का पाठ यही पिलायेंगे आपको. दुकाने चलती है इनकी धर्म के नाम पर. दोनों तरफ के मनुवादी पण्डे और मनुवादी मुल्ले धर्म-रक्षा के नाम पर चांदी काटते है.
संघ लगातार कोशिश कर रहा है कि दलित-पिछड़े  मुसलमान, ईसाईयों को दुश्मन समझने लगे. गाय-गोबर, संस्कृत और संस्कृति का लगातार पाठ पढ़ा रहा है. लेकिन लगातार उसे सबक मिल रहा है. उसकी कोशिशे नाकामयाब हो रही है. जानते हो क्यों? क्योंकि देश का शासन-प्रशासन मनुस्मृति से नहीं चल रहा है, बाबा साहेब की अगुवाई में निर्मित भारतीय संविधान से चल रहा है.  भारतीय संविधान समता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता को स्थापित करता है. संविधान ने धार्मिक आधार पर कोई व्याख्या नहीं की. जो दलित-पिछड़ा है उसे विशेष अवसर की सुविधा प्रदान करता है. हालांकि दलित इसाई और दलित मुसलमान को आरक्षण नहीं मिल रहा है. महिलाओं को उनकी आबादी के आधार पर प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. ये भारतीय लोकतंत्र का दुर्भाग्य है. इन शोषित  समुदायों के लिये अन्य आरक्षित समुदायों तथा प्रगतिशील ताकतों को लड़ना चाहिये. बाबा साहेब सभी शोषितों, मजलूमों की एकता पर जोर देते थे. किसी भी प्रकार की धार्मिक कट्टरता का मुखालफत करते थे. कहीं संघ की ब्राह्मणवादी  कट्टरता का विरोध करते करते इस्लामिक कट्टरता को मजबूत करके आप दुसरे रास्ते से ब्राह्मणवादी संघ को मजबूत तो नहीं कर रहे है. हमारे पसमांदा आन्दोलन के साथी हाजी नेसार ने फ़रमाया है..
हैदराबाद के चारमीनार में,
मंदिर का रकबा बढता जा रहा है,
उसका क्या ओवैसी साहब?

तनिक वो भी बताना.