Wednesday, May 27, 2015

गुर्जर आन्दोलन बार-बार क्यों भड़कता है?

गुर्जर आन्दोलन बार-बार क्यों भड़कता है?

राजस्थान में गुर्जर आन्दोलन का ये द्वितीय चरण है, गुर्जर OBC कोटे में 5 प्रतिशत विशेष आरक्षण की मांग कर रहे है, इसके लिए वे रेल की पटरियों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर डटे हुये है, फिलहाल गुर्जर OBC वर्ग में ही है लेकिन उनका आरोप है कि अन्य सबल OBC समुदायों के चलते उनका हक़ छीना जा रहा है.  पहला आन्दोलन 2007 में हुआ था उस समय गुर्जर ST कोटे में शामिल होने के लिये लड़ रहे थे. उस समय  भी वसुन्धरा राजे मुख्यमंत्री थी. 
मुख्यमंत्री ने कोई ठोस हल नहीं निकाला. राज्य सरकार और गुर्जर आरक्षण के प्रतिनिधियों की वार्ता विफल हुयी जिससे आन्दोलन और उग्र हुआ . करीब 50 से ज्यादा गुर्जर गोलीबारी में मारे गये थे. राज्य सरकार ने गुर्जरों को संतुष्ट करने के लिये डि-नोटिफाइड ट्राइब्स के कोटे में शामिल करने के लिये राष्ट्रपति को पत्र लिखा. 2008 में राजस्थान सरकार ने  गुर्जरों को 5%अलग से आरक्षण देने का बिल पास किया. लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया कि आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता. तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गुर्जरों को 1% आरक्षण का प्रावधान किया और बाकी 4% के लिये कोर्ट का निर्णय आने तक के लिए रोक दिया. दिसंबर, 2008 में हाई कोर्ट ने गुर्जर के 5% आरक्षण को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया. गुर्जर आन्दोलन ने अब अपनी मांगो का दायरा बदल दिया अब वे OBC कोटे में 5% प्रतिशत विशेष आरक्षण की मांग कर रहे है. सरकार के साथ वार्तायें जारी है. लेकिन कोई हल नहीं दिख रहा है.

भाजपा और कांग्रेस दोनों गुर्जरों की मांग का स्थायी हल ढूँढने में असफल रही है. गुर्जरों का  कहना है कि उनके समुदाय से अभी तक कोई IAS नहीं बना है, सरकारी पदों पर उनकी संख्या नगण्य है. लेकिन OBC आरक्षण  में किन-किनको विशेष कोटा दिया जाये.. सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को विशेष कोटा देने की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को विशेष   कोटा देने के लिए कहा है. जो भी समुदाय आरक्षण की मांग कर रहा है उन्हें OBC कोटे में डालने का प्रस्ताव कर दिया जाता है. OBC आरक्षण के अन्दर आने वाले समुदायों में आन्तरिक कलह बढ़ रही है. अब केंद्र सरकार को इसमें दखल करनी चाहिये जाति-आधारित जनगणना को अति-शीघ्र करवाकर. जाति-जनगणना करवाने से सभी जातियों के  सामाजिक-आर्थिक- शैक्षणिक स्तर के आंकड़े मिल जायेंगे जिससे आरक्षण व्यवस्था और अफर्मेटिव एक्शन की योजनाओं को न्यायसंगत व्यवस्थित किया जा सकता है.